Kavita Jha

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एक डोर में सबको बांधती,वो हिंदी है, लेखनी कविता प्रतियोगिता# आधे-अधूरे मिसरे-25-Jul-2023

खड़ा हिमालय बता रहा है


खड़ा हिमालय बता रहा है, डरो न आँधी पानी से।
साहस अपना बनाए रखा कैसे, सुनी कहानी नानी से।।
राजा हरिश्चन्द्र थे सत्य पुजारी ऐसे, पड़ा मुसीबतों का साया।
फिर भी उन्होंने सत्य राह से , कदम न अपना भटकाया।।
भूख प्यास से बेहाल पुत्र ने, जान अपनी थी गंवाई।
हरिश्चंद्र ने मांगा कफ़न तो, माँ अपना आँचल फाड़े लाई ।।
भारत ऐसा देश जहां की देखो, देता है इतिहास गवाही।
पूत मात धरती के हुए थे ऐसे, सच्चे थे वो तो हिमालय सम सिपाही।।

कविता झा'काव्य'
# लेखनी
# आधे अधूरे मिसरे लेखनी कविता प्रतियोगिता 

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2 Comments

Milind salve

12-Aug-2023 12:41 PM

Nice

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